Tuesday, November 19, 2019

क्या आप वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर ये साबित कर सकते हैं कि वर्तमान विश्व में जो ज्ञान आज मौजूद है, वो समस्त ज्ञान प्राचीन काल में भारत में मौजूद था और विश्व को ये सारा ज्ञान भारत की ही देन है?

जी हां, मैं ऐसे तथ्य जिनसे कि ये बात साबित होती है, प्रमाण के साथ आपके समक्ष रखने में सक्षम हूँ। साथ ही ये भी जान लीजिये कि विकिपीडिया, गूगल या किसी अन्य साइट पर इस प्रकार का सटीक, लघु और सरल भाषा मे लिखा गया कोई भी लेख शायद ही मौजूद है।

नोट- लेख की लंबाई को काबू में रखने के लिये मैं कुछ तथ्यों की डिटेल्स नही दूंगा। पाठक इन डिटेल्स के लिये गूगल सर्च कर सकते हैं। दूसरी बात ये की इस सवाल का जवाब वैसे तो मैं आपको 101 उदाहरणों के साथ दे सकता हूँ लेकिन इस जवाब में मैं मात्र 1 उदाहरण का प्रयोग करूँगा।

इस लेख को लिखने के लिये आपके लेखक ने सबसे पहले गूगल पर ये सर्च किया - "व्हाट इज द यूनिवर्स मेड आफ" - अर्थात ये ब्रह्मांड ( यूनिवर्स) किस चीज से बना है। सर्च रिजल्ट में सबसे ऊपर आये विकिपीडिया के लेख के कुछ कंटेंट्स ये रहे-

"समय व अंतरिक्ष सहित इनमे मौजूद ग्रह, तारे, आकाश गंगाऐं व किसी भी अवस्था में समस्त पदार्थ और ऊर्जा"- इन सब को मिलाकर ब्रह्मांड कहा जाता है।

ब्रह्मांड लगभग 4 प्रतिशत सामान्य पदार्थ (वो सब कुछ जिसे हम जानते समझते है- परमाणु भी सामान्य पदार्थो की श्रेणी में ही आता है), 27 प्रतिशत डार्क मैटर ( सब एटॉमिक पार्टिकल्स - यें परमाणु से भी सूक्ष्म होते है) और 68 प्रतिशत डार्क एनर्जी से मिलकर बना है।

स्रोत : https://en.m.wikipedia.org/wiki/...

पाठकों की जानकारी के लिये बता दूं की परमाणु की खोज आधुनिक युग की महानतम खोजो में से एक मानी जाती है।

आधुनिक विज्ञान द्वारा सवर्प्रथम ब्रह्मांड को परमाणुओं से बना बताया गया।

उसके बाद पहले परमाणु को अविभाज्य समझा गया, फिर परमाणु में न्यूट्रॉन-प्रोटोन- इलेक्ट्रॉन का मॉडल पेश किया गया और अभी हाल ही में परमाणु के चौथे पार्टिकल "बोसॉन" की खोज हुयी है। लेटेस्ट जानकारी विकिपीडिया से ली गयी है (ऊपर) जिसमे बताया गया है कि मात्र लगभग 5 प्रतिशत ब्रह्मांड परमाणुओं से बना है। अब सब एटॉमिक पार्टिकल्स या डार्क मैटर (अभी इनके बारे में बेहद कम या अपूर्ण जानकारी है) और डार्क एनर्जी जो बेहद रहस्यपूर्ण और जटिल है, पर वैज्ञानिक अटके हुए हैं।

वर्तमान में आधुनिक विज्ञान ये कहता है कि - ब्रह्मांड की रचना परमाणुओं से नही हुयी है।

  • अब जो आपका लेखक लिखने जा रहा है पहले उसका सबूत देखिये।

गूगल पर सर्च कीजिये - "महर्षि कपिल"।

Kapila - Wikipedia

विकिपीडिया के इस लेख में इनका जन्म आपको ईसा से 600 से 700 वर्ष पूर्व बताया गया है। हालांकि इस बात को सत्य मानकर चलने से भी मेरा काम चल सकता है लेकिन पहले मैं इसे असत्य साबित करूँगा (वजह आगे आयेगी)।

दुनिया के देशों और धर्मो का वश चलता तो वें ये साबित कर देते की तमाम ज्ञान की खोज ईसा के जन्म के बाद हुयी लेकिन ढेरों पुरात्विक साक्ष्यों, प्रतीकों और ग्रंथो के होते ऐसा करना संभव न था। इसलिये उन्होंने भारतीय जयचंदों का सहारा लेकर भारतीय इतिहास को केवल उतना ही ईसा पूर्व का बताया जितना पीछे का बताना उनकी मजबूरी थी।

मिसाल के तौर पर उपलब्ध लिखित ग्रंथों के आधार पर उन्होंने वैदिक काल को 1000 से 1500 ईसा पूर्व का बताया और ऋग्वेद की रचना वैदिक युग मे होना बताया। बात को यों समझिये की आपके परदादा ने आपके दादा को जो बताया वो उन्होंने आपके पिता को बताया और आपके पिता की बतायी उस बात को आपने लिख लिया। मुझे आपकी वो कॉपी मिली जिसमे आपने लिखा था। अब मैं बड़े आराम से दुनिया को ये कह सकता हूँ कि कापी में लिखी बात आपके उसे लिखने की तारीख से वजूद में है।

पाठको को मुझे ये बताने की जरूरत नही की पुरातात्विक साक्ष्यों के मिलने के बाद अब सारा विश्व ये मानने की दिशा में बढ़ रहा है कि वैदिक काल 6000 ईसा पूर्व में भी रहा हो सकता है। अभी हाल ही में भगवान श्री कृष्ण का जन्म लगभग 3200 ईसा पूर्व और श्रीराम का जन्म लगभग 5200 ईसा पूर्व होने की गणनाएं की गई हैं।

  • महर्षि कपिल पर वापस लौटते हैं।

अश्वत्थः सर्ववृक्षाणां देवर्षीणां च नारदः ।

गन्धर्वाणां चित्ररथः सिद्धानां कपिलो मुनिः ॥10.26॥

भावार्थ : मैं सब वृक्षों में पीपल का वृक्ष, देवर्षियों में नारद मुनि, गन्धर्वों में चित्ररथ और सिद्धों में कपिल मुनि हूँ॥10.26॥

VibhutiYog ~ Bhagwat Geeta Chapter 10 | विभूतियोग ~ अध्याय दस

गीता के इस श्लोक में श्रीकृष्ण द्वारा महर्षि कपिल का जिक्र इस बात का प्रमाण है कि महर्षि कपिल का अस्तित्व भगवान श्री कृष्ण से पहले का है। वेद श्रीराम से भी पहले के हैं और उपनिषद (वेदांत) भी इतने ही पुराने हैं। इस प्रकार कपिल मुनि का अस्तित्व कम से कम 8000 से 10000 साल पुराना है।

  • कौन थे कपिल मुनि और क्या है उनका सांख्य दर्शन?

पाठको की जानकारी के लिये बता दूं कि कपिल मुनि या महर्षि कपिल जिन्हें सांख्य के नाम से भी जाना जाता है, ने "सांख्य दर्शन (सांख्य फिलॉसफी)की रचना की थी। सांख्य दर्शन में ब्रह्माण्ड की रचना के बारे में जो थ्योरी पेश की गयी है वह आज तक अकाट्य है। कपिलमुनि को आप ब्रह्मांड के बारे में जानने वाले समस्त ज्ञानियों, वैज्ञानिकों, दार्शनिकों के पितामहों के भी पितामह मान सकते हैं।

पाठकों को सांख्य फिलॉसफी के बारे में विस्तार से समझाने के लिये लेखक को दर्जनों पेज लंबा लेख लिखना पड़ेगा और फिर भी इस बात की गारंटी नही दी जा सकती है कि सभी पाठक इस ज्ञान को आत्मसात कर पाने में सफल होंगे (लेखक को महीनों लगे थे)। यहां मैं सांख्य दर्शन की मुख्य बातें आपको बता रहा हूँ जो निम्न प्रकार से है-

  • सांख्य के अनुसार परमाणु ब्रह्मांड की रचना का मूल कारण नही है। क्रिएशन में दूसरी या तीसरी अवस्था के बाद कही जाकर परमाणुओं का अस्तित्व सामने आता है।
  • ब्रह्मांड की रचना के बारे में सांख्य ने 25 सिद्धांत दिये है।
  • सृष्टि की रचना (क्रिएशन) और विनाश एक निश्चित क्रम (सायकल) में अनंत काल से होता आ रहा है। वास्तव में इसे सृष्टि की रचना और विनाश कहने की बजाय सृष्टि का एवोल्यूशन और इंवॉल्यूशन कहना ज्यादा ठीक होगा।
  • ब्रहांड के मूल में 2 चीजे है। (1) पुरुष (यहां पुरुष से तात्पर्य अविनाशी आत्मा से है) और (2) प्रकृति (यहां प्रकृति से तात्पर्य मूल पदार्थ या मैटर से है जिसमे रज, तम और सत नाम के तीन तत्व होते है)।
  • ये दोनों (प्रकृति और पुरुष) अविनाशी और अनंत है। केवल पुरुष ( आत्मा) ही ऐसा है जो पदार्थ या मैटर नही है, इसके अलावा ब्रह्मांड की हर चीज - " बुद्धि, इंद्रियां, विचार इत्यादि सब कुछ" मैटर है।
  • सायकल की शुरुआत में इन तीनो मैटर (रज-तम-सत) जो कि परफेक्ट बेलेंस में होते है, के बेलेंस में फर्क पैदा होने से सृष्टि की रचना प्रारम्भ होती है।
  • प्रकृति में पहला चेंज बुद्धि ( यूनिवर्सल इंटेलिजेंस) के रूप में होता है। - 3
  • बुद्धि चेंज होकर अहंकार (यूनिवर्सल ईगोइज्म) में तब्दील होती है। - 4
  • अहंकार ("मैं" या "इंडिविजुअलटी") दो भागों में विभाजित हो जाता है।
  • अहंकार एक तरफ मन (माइंड) और दस इंद्रियो में बंट जाता है। पाठकों की जानकारी के लिये बता दूं कि पांच ज्ञानेन्द्रियाँ (देखना, सुनना, सूंघना, स्वाद लेना, स्पर्श करना) और पांच कर्मेन्द्रियाँ (चलना, बोलना, पकड़ना, उत्सर्जन और संतानोत्पत्ति) होती हैं। - 5 -6–7–8–9–10–11–12–13–14–15
  • और यही अहंकार दूसरी तरफ पांच तन्मात्र या बेहद सूक्ष्म पार्टिकल्स ( इन्हें हम सिर्फ जान सकते है कि ये हैं) और पांच महाभूत (मैटर या पदार्थ) में बंट जाता है। पाठको को बता दूं कि पांच तन्मात्रो में रूप, रस, शब्द, गंध और स्पर्श आते हैं जबकि पांच महाभूतों में अग्नि, पृथ्वी(अर्थ), वायु, जल और आकाश आते हैं। - 16–17–18–19–20–21–22–23–24–25.
  • सांख्य हजारों वर्ष पहले ब्रह्मांड की रचना की थ्योरी (अभी तक अकाट्य) बता चुके थे।

तो ये था सवाल का जवाब जो कि मैं आशा करता हूँ कि पाठकों को जरूर पसंद आयेगा और उन्हें अपने महान भारत और अपनी अतुल्य विरासत पर गर्व होगा, साथ ही जो लोग (ऐसे लोगों की कमी भारत मे भी नही है) इस बात का मखौल उड़ाते हैं कि भारतवर्ष ही विश्व गुरु रहा है, उनका मुह भी ये जवाब बंद करेगा।

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