Thursday, November 28, 2019

क्या ये जातिवाद का उदाहरण नहीं हैं कि परशुराम ने कर्ण को सिर्फ इस लिऐ श्राप दिया क्योंकि वह उच्च जाती का नहीं था?

परशुराम जी ने कर्ण को इसलिए श्राप दिया था कि वह एक निम्न जाति का था यह एक भ्रांति है अधिकतर लोग ये भी जानते नहीं कि वास्तव में महाभारत किस प्रकार हमें अपनी छोटी-छोटी दैनिक जीवन में शिक्षा देता है

मैं यहां यह बताने का प्रयास करूंगा कि वास्तव में परशुराम के शब्दों का क्या अर्थ था और क्यों वह शब्द कर्ण को कहे गए थे 

परशुराम जी के आश्रम में केवल ब्राह्मणों को शिक्षा दी जाती थी क्षत्रियों को या किसी अन्य जातियों को नहीं, इसका कारण यह था कि परशुराम जी के पिता महर्षि जमदग्नि की हत्या एक क्षत्रिय राजा कार्ति वीर अर्जुन ने की थी इसकी प्रतिशोध लेने के लिए परशुराम ने इस धरातल पर उपलब्ध सभी दुष्ट क्षत्रिय राजाओं का वध कर दिया था और इसी कारण क्षत्रियों को कोई भी शिक्षा नहीं देते थे यह इनके आश्रम का एक नियम था जिस प्रकार आज विभिन्न संस्थाओं में प्रवेश लेने के लिए विभिन्न नियमों का पालन करना पड़ता हैं ठीक उस समय भी परशुराम जी ने अपने आश्रम के लिए यह नियम निर्धारित किए थे कर्ण ने परशुराम जी से धनुर्विद्या सीखने के लिए परशुराम जी को झूठ कहा कि वह एक ब्राह्मण है, जिस समय परशुराम को ज्ञात हुआ की कर्ण ब्राह्मण नहीं बल्कि क्षत्रिय कुल से है तो उन्होंने कर्ण को कुछ बातें कही थी जो निम्न है

परशुराम ने कर्ण को कहा

अगर तुम कोई भी विद्या समाज के भला करने के वजह से नहीं सीखते बल्कि अपना किसी कार्य को सिद्ध करने के लिए सीखते हो या फिर अपने आपको औरों से बड़ा और अच्छा साबित करने के लिए कोई विद्या सीखते हो तो तुम उस काम को अपनी सच्चे मन से नहीं कर पाते और जो भी काम सच्चे मन से नहीं होता वह कभी भी स्थाई नहीं है

जैसे अगर तुमने यह धनुर्विद्या अर्जुन को छोटा दिखाने के लिए सीखी है तो याद रखना तुम कभी भी इस पूरी विद्या को इस्तेमाल नहीं कर पाओगे क्योंकि कोई ना कोई भाग ऐसा जरूर होगा जो तुम उस समय भूल जाओगे.

हर व्यक्ति के साथ जो भी किसी छोटे उद्देश्य की पूर्ति के लिए कोई भी विद्या सीखता है वह कभी भी अपनी कार्य में सफल नहीं हो पाता पूरी तरह से, इसलिए कर्ण तुम भी कभी इस विद्या का पूर्ण उपयोग नहीं कर पाओगे.

परशुराम जी ने कर्ण को जो भी विद्या सिखाई थी उसमें सबसे मुश्किल विद्या वही थी जो कर्ण महाभारत के युद्ध के दौरान अर्जुन के सामने भूल गया था श्री परशुराम का श्राप नहीं था और ना ही कर्ण की छोटी जाति होने के कारण यह बातें परशुराम ने कर्ण को बोली थी बल्कि यह एक प्राकृतिक सत्य था और ये बाते आज भी ठीक उसी तरीके से लागू है

अगर आज भी आप कोई काम सिर्फ इसलिए करें कि आपको किसी से आगे जाना है या किसी से अपने आप को श्रेष्ठ साबित करना है तो आप पूरी तरह से वह कार्य नहीं सीख पाते इसका सबसे बड़ा उदाहरण है कि आज के जितने भी बड़े सॉफ्टवेयर कंपनियां है उन सब के मालिक कॉलेज ड्रॉपआउट है उनमें किसी से श्रेष्ट बनने की किसी के सामने अपने आप को साबित करने की किसी से ज्यादा नंबर लाने की प्रतिस्पर्धा नहीं थी बल्कि केवल अपने ज्ञान वर्धन के लिए वह काम कर रहे थे और आज वह शिखर पर है वही जो बच्चे अच्छे नंबर और अच्छे ग्रेड के लिए पढ़ते हैं वे सब आज इन कंपनियों में कर्मचारी भर हैं इससे बड़ा और प्रत्यक्ष उदाहरण आपको और क्या देखने को मिलेगा।

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