Friday, November 22, 2019

भगवान श्रीकृष्ण ने क्यों किया था कर्ण का अंतिम संस्कार?

कर्ण से जुडी बेहतरीन बातें हैं जो सबलोग जानते हैं बस व्यास और महाभारत नहीं जानता | क्यूकि ये बकवास TV सीरियलो और ढपोरशंखो से सुनने-सुनाने को मिलती है

बुरा ये है की एक आम हिंदू पढ़ने कि जगह सुनने पे ज्यादा महत्व देने लगा है जोकि सचमुच गंभीर बात है

पहली बकवास कि कर्ण कवच कुण्डल के साथ पैदा हुआ था

महाभारत के अनुसार

उसने(कुंती ने) उसे(कर्ण को) दिव्य कुण्डल जो काफी तपस्या के बाद मिला था सहज ही दे दिया सहज ही उसे कवच पहना दिया जो देवताओ को भी मोहित करने वाला था ||9|| 

उसने(कुंती ने) उसे(कर्ण को) तब सोने के चमकदार कवच और कुण्डल सही से बांध दिया जो देखने में सूर्य के सामान चमक रहे थे (जो कि उसके पिता थे )|| 5|| 

दिव्य अमृत से सना कुण्डल उसने अपने बच्चे के पास रख दिए

विदा करने से पहले कुंती ने उसे कुण्डल और कवच पहनाया कुण्डल ऐसा यन्त्र था जिसमे दिव्य अमृत था, और वो कवच और कुण्डल उसके पिता कि तरह सुनहले थे वो कवच और कुण्डल बालक को सहज ही आ गये जो देवताओ को भी आकर्षित करते थे

दूसरी बकवास गुरु द्रोण ने कर्ण को शिक्षा नहीं दी

महाभारत के अनुसार कर्ण के पहले गुरु द्रोणाचार्य ही थे मगर उसकी बदतमीज़ी असह्य थी जिसमे हमेशा अश्वथामा और दुर्योधन का सहयोग रहता था और

और सिखने कि बात पे कर्ण गुरु आश्रम छोड़ के चला गया

तीसरा बकवास गुरु द्रोण ने कर्ण को सीखाने से मना कर दिया

महाभारत के अनुसार कर्ण अर्जुन कि तुलना में धीमा था (और गुरु द्रोण भी अर्जुन से ज्यादा आकृष्ट थे,) सो सहज ही कर्ण ने द्रोण से ब्रह्मास्त्र कि मांग कर दी जो गुरु ने कर्ण के ब्राह्मण बनने से पहले देने से मन कर दिया

(ध्यान देने लायक बात ये है कि महाभारत जन्मप्रदत्त वर्णव्यवस्था को नहीं मानता लेकिन यह मानता है कि सारे विद्यार्थी को शूद्र होने चाहिए जिनको हमेशा शिक्षा कि भूख हो, फिर उनके शिक्षा, शौक, जागृति, आकर्षण, विशिष्ठता और व्ययसाय के अनुसार वर्ण दे दिया जाता है जैसे कि भीष्म:तपस्वी क्षत्रिय, ब्रह्मचारी ब्राह्मण द्रोण:वैश्य और अश्वथामा शूद्र बन गया)

बकवास : कर्ण को द्रोण ने अपना पराक्रम दिखाने से रोका था

बकवास : कृपाचार्य ने कर्ण की जाति पूछी

राजधर्म का पहला नियम यह है कि हमेशा अपने बराबरी वाले से लड़ो, द्रोण ये बात कई बार दुर्योधन को सिखाते है कि पदाति पदाति से, घुड़सवार घुसवार से, गज गज से, रथी रथी से और महारथी महारथी से लड़े, बेमेल युद्ध कि कभी अनुमति नहीं दी जाती, क्यों कि हर बार दुर्योधन गदा लेके पदातियों को मारने लगता था और बिपक्ष के सेनापति के सामने खुला छूट जाता था

अर्जुन के पास मंत्र-आमंत्रित(बिना धनुष पे रखे चलाये जाने वाला) ब्रह्मशीर अस्त्र था (लघु ब्रह्मास्त्र, जो धारक को हर संभव खतरे से बचता भी है और किंकर्तव्य स्थिति ने स्वम्स्फुरित हो जाता है, जिसका प्रयोग मनुष्यो पे जायज था और बचाव मंत्र-आमंत्रित ब्रह्मशीर या मंत्र-अभिमंत्रित-आमंत्रित(बिना धनुष के चलाया जा सकने वाला और लौटाया जा सकने वाला) ब्रह्मास्त्र था, और द्रोण ने ब्रह्मशीर अपने बेटे को भी नहीं दिया था) अर्जुन पे आक्रमण का मतलब ही आत्महत्या थी तो किसी को भी यू मरने नहीं दिया जा सकता था

अब ये पृथा का छोटा लड़का, पाण्डु का पुत्र है, कौरव वंश में पैदा हुआ ये बालक से तुम लड़ना चाहते हो, हे महायोद्धा, अपने माता पिता, कुल का परिचय दो किस राजा के तुम पुत्र हो,(ताकि बराबरी की प्रतियोगिता हो )

ये देख सुन के वो संकुचित हो गया कि अब प्रतियोगिता न हो क्यों की राजकुमार से राजकुमार की तुलना की जाती है

बकवास : कर्ण को दुर्योधन ने अंग देश का राजा बना के उसकी दोस्ती मोल ली

"अंग" कभी हस्तिनापुर का हिस्सा था ही नहीं, ये जरासंध की चम्पानगरी थी जिसकी राजधानी मालिनी थी |

जो कि जरासंध ने उसे हारने पे दिया था, चुकि अभी तक कर्ण दुर्योधन के अधीन था वो चम्पानगरी या अंगदेश का राजा नहीं बन सकता था लेकिन जरासंध और हस्तिनापुर की कभी मित्रता नहीं हो पायी थी सो दुर्योधन कि अनुमति से कर्ण जरासध के मगध और कौरवो के हस्तिनापुर के बीच के गांव का राजा बन गया

बकवास : कर्ण ने कृष्ण से अपना अंतिम संस्कार पापहीन धरती पे करने को बोलै था

वास्तव में : कर्ण ने कहीं भी कृष्ण को संस्कार के लिए नहीं कहा, क्युकि कर्ण ये समझता था कि कृष्णा के भी बहुत से दुश्मन युद्ध में शामिल है सो किसी का बचना अवश्यम्भावी नहीं है.

बकवास लाशे उसी दिन जला दी जाती थी जिस दिन वीर मारे जाते थे

महाभारत के अनुसार कुरुक्षेत्र बहुत बड़ा मैदान था, 18 दिन की लड़ाई 18 अलग अलग क्षेत्रो में हुई और लाशो के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की जाती थी

बकवास, गुरु और राजाओ को विशेष सम्मान से जलाया जाता था

बकवास: राजपुत्रो कि लाशो को उसी दिन जला दिया जाता था

बकवास: अर्जुन ने अभिमन्यु कि चिता की कसम खाई

बकवास: विराट कुमार, विराट नरेश और पांचाल नरेश की चिता

बकवास: गुरु द्रोण का अंतिम संस्कार

अगर दुरु द्रोण की लाश को गीदड़ और कुत्ते घसीट रहे है तो बाकि की क्या औकात

और सबसे ज्यादा ढपोर शंख: कर्ण का अंतिम संस्कार

कर्ण की लाश को कीड़े गीदड़ और कुत्ते खा खा कर लगभग खत्म कर चुके थे, थोड़ी बहुत बची लाश काली पड़ गयी थी जो घिनौनी लग रही थी, कटा सर कर्ण की पत्नी के पास था

(अब जिस-जिसने युधिष्ठिर और दुर्योधन को कर्ण की लाश जलाने के लिए लड़ते देखा था वो अपने नौटकीबाजो की टोलियो से पूछे कि उन्होंने नई महाभारत कब लिख डाली

अभी आधे समुदाय ये भी खोजे कि कृष्ण इन लाशो के ढेर से कर्ण कि लाश कैसे निकल कर लेगए

हाँ ये मानने लायक यही कि कर्ण कि लाश हाथ पे जलाई जा सकती थी क्योंकि इतने दिन में कुत्ते सियार गीदड़ गिद्ध और कीड़े सिर्फ बाल छोड़ते बाकि तो सब खा ही चुके थे )

अब असल में लाशो को जला कौन रहा था

राजाओ की रनिया और बहुएं लाशो के हाथ पैर और सर उठा उठा के लाती थी और वे ही अपने पहचान वालो कि चिता को जला के चली गई

(अब कृपया ये कोई तमाशा न करे कि ब्राह्मण वैश्य और क्षत्रियो कि औरते मरघट नहीं जा सकती क्यों कि किसी के भाई के दोस्त के पापा ने किसी वेद में पढ़ लिया है, या किसी के मुँह से सुन लिया या किसी TV सीरियल ने देख लिया )

लेकिन औरतें दूसरी लाशो को नहीं जला रही थी सो बाकि लाशे जला कौन रहा था

बिदुर संजय सुधर्मा इन्द्रसेन और धौम्य ने रथ की लकड़ियों का ढेर लगाया सारे हथियार वहा लगाए लोगो की मदद से लकडिया मंगवाई और पहले बड़े देश के राजा से ले के छोटे देश के राजा की तरह से उन्हें आग में डाल दिया

दुर्योधन का भाई पहले दिन लड़ाई में मरा था, उसकी लाश 18 दिन तक सड़ती रही थी, अभिमन्यु की लाश सृंजय की लाश सबको घी की धार डाल के जला दिया गया

और अंत में हजारो सामूहिक चिताएं बनायी गई और लाशो का ढेर लगा के तेल घी और लकड़िया मिला के बिदुर ने राजा की आज्ञा से जलवा दिया (किसी को किसी के लिए छोड़ नहीं दिया)

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