ऐसे होगा कलयुग का अंत :-
हमारे वेदों के अनुसार हम सभी अज्ञानता और अनैतिकता जिस युग में रह रहे हैं,उसे कलयुग के नाम से जाना जाता है पुराणों के अनुसार माना जाता है कि कलयुग का प्रारंभ 3102 ईसा पूर्व पहले ही हो चुका था। जब 5 ग्रह मंगल,बुध,शुक्र,बृहस्पति और शनि मेष राशि पर 0 डिग्री पर हो गए थे। उस समय तक भगवान श्री कृष्ण का युग खत्म हो चुका था। दोस्तों आपको बता दें,कि कलयुग से पहले सतयुग,त्रेता युग और द्वापरयुग का समय था।
ब्रह्म वैवर्त पुराण की माने तो कलयुग का युग सबसे अत्याचारी युग माना जाता है। सृष्टि के आरंभ में सतयुग से शुरुआत हुई थी। और कलयुग पर सृष्टि का अंत होगा, ऐसा वर्णित है। माना जाता है यह सारे युग एक चक्र में चलते रहते हैं सतयुग से लेकर कलयुग तक।
पुराणों में कहा गया है कि कल युग में स्त्री और पुरुषों में आध्यात्मिकता का अभाव होता चला जाएगा। और उनमें नैतिकता का भी अंत हो जाएगा कलयुग में इंसान पर लालच,दुराचार तृष्णा,क्रोध,वासना,स्वार्थ जैसी बेकार की आदतें हावी हो जाएगी। अर्थात यह सब आदतें इंसान की मूल प्रवृत्ति बन जाएगी। सतयुग की अपेक्षा में कलयुग में लोगों की अच्छाई एक चौथाई हो जाएगी।
ब्रह्मवैवर्तपुराण में कलियुग के शुरुआत से लेकर अंत तक जुड़ी सारी बातों को विस्तार पूर्वक लिखा गया है। आज में आपको ब्रह्मवैवर्तपुराण में लिखे गए कलयुग के अंत से जुड़ी बातों के कुछ अंश को बता हु।
ब्रह्मवैवर्तपुराण के अनुसार अभी का युग कलयुग चल रहा है। और इसके 5000 वर्ष पहले द्वापर युग की समाप्ति हुई थी। अभी कलयुग में अधर्म फैलना स्टार्ट हो गया है। अभी के समय में एक इंसान दूसरे इंसान पर भरोसा करना बंद कर दिया है। और जब इंसान को खुद पर ही भरोसा नहीं,तो वह धर्म ग्रंथों पर विश्वास कैसे करेगा। पुराणों के अनुसार कलयुग में एक समय ऐसा भी आएगा, जब इंसान की उम्र बहुत कम रह जाएगी। युवावस्था समय से पहले समाप्त हो जाएगी। आने वाले समय में मनुष्य की उम्र 20 वर्ष तक की हो जाएगी। हमारे धर्म ग्रंथों में इस सृष्टि के आरंभ से अंत तक को लेकर चार युगो अर्थात सतयुग,त्रेतायुग, द्वापरयुग,कलियुग में बांटा गया है। कलयुग का अंत समय से लेकर अनेक धर्म ग्रंथों में कई रोचक और रहस्यमई बातें लिखी गई है।
ज्योतिष ग्रंथ सूर्य सिद्धांत में बताया गया है कि कलयुग 4,32,000 वर्ष तक पृथ्वी पर कायम रहेगा।
पुराणों के अनुसार देवताओं के इन दिव्य वर्षो के आधार पर चार युगों को मानव सौर वर्षों के अवधि में कुछ इस प्रकार से बांटा गया है।
1.सतयुग 4800 (दिव्य वर्ष) 17 लाख 28 हजार (सौर वर्ष)
2.त्रेता युग 3,600 (दिव्य वर्ष) 12 लाख 96 हजार 100 (सौर वर्ष)
3.द्वापर युग 2400 (दिव्य वर्ष) 8 लाख 64 हज़ार (सौर वर्ष)
4.कलयुग 1200 (दिव्य वर्ष) 4 लाख 32 हज़ार (सौर वर्ष)
ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार कलयुग में लोगों के बाल 16 घर की आयु में ही सफ़ेद हो जाएंगे। और वह 20 वर्ष की आयु में ही बूढ़े हो जाएंगे। युवा अवस्था समाप्त हो जाएगी। और आज यह बात सच भी प्रतीत होती नज़र आ रही है। क्योंकि प्राचीन काल में इंसानों की औसत उम्र करीब 100 वर्ष के करीब हुआ करती थी। उस काल में 100 वर्ष से भी अधिक जीने वाले लोग हुआ करते थे। लेकिन आज के समय में इंसान की औसत उम्र बहुत ही कम (60-70 वर्ष) तक ही हो गई है। और भविष्य में इंसानों की उम्र में और भी ज्यादा कमी आने की संभावनाएं बहुत अधिक है। क्योंकि पृथ्वी पर प्राकृतिक वातावरण बहुत ही ज्यादा बिगड़ रहा है। हम सब की दिनचर्या असंतुलित होती जा रही है।
पुराने काल में लंबी उम्र के बाद ही लोगों के बाल सफेद हुआ करते थे। लेकिन आज के समय में युवा अवस्था में ही स्त्री और पुरुष दोनों के बाल सफेद हो जाते हैं। आजकल जवानी के दिनों में ही लोगों को बुढापे के रोग होने लगते हैं।
पुरुष हो जाएंगे स्त्रियों के अधीन
भगवान श्री हरि विष्णु ने स्वयं महर्षि नारद जी को बताया है की कलयुग में एक समय ऐसा आएगा जब सभी पुरुष स्त्रियों के अधीन होकर अपना जीवन व्यतीत करेंगे।
गंगा भी लौट जाएगी बैकुंठ धाम को
ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार कलयुग के 5000 साल बाद गंगा नदी सुख जाएगी। और देवी गंगा पुनः बैकुंठ धाम लौट जाएगी।
जब कलयुग के 10 हजार वर्ष होंगे,तब सभी देवी-देवता पृथ्वी को छोड़कर अपने-अपने धाम लौट जाएंगे। कलयुग में इंसान पूजा,कर्म,व्रत-उपवास और सभी धार्मिक काम करना बंद कर देंगे। क्योंकि उस समय तक हिंसा और पाप पृथ्वी के लोगों पर अपना एकाधिकार जमा चुकी होगी।
अन्न और फल भी खत्म हो जाएगा
ब्रह्म वैवर्त पुराण के अनुसार कलयुग में एक समय ऐसा भी आएगा जब जमीन से अन्न उपजना भी बंद हो जाएगा। पेड़ों पर फल नहीं लगेंगे।और धीरे धीरे यह सभी चीजें विलुप्त हो जाएगी।
गाय दूध दे ना बंद कर देगी
ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार कलयुग में एक समय ऐसा भी आएगा जब गाय अपना अमृत समान दूध देना भी बंद कर देगी।
समाज हिंसक हो जाएगा
कलयुग में जो लोग बलवान होंगें,उनका ही राज चलेगा। इस युग में मानवता नष्ट हो जाएगी। और सारा समाज हिंसक खो जाएगा। सारे रिश्ते खत्म हो जाएंगे। एक भाई दूसरे भाई का शत्रु बन जाएगा।
कलयुग में लोग अनैतिक चीजें देखने,सुनने और पढ़ने लगेंगे। इस युग में लोग शास्त्रों से बिमुख हो जाएंगे। समाज में लोगों के द्वारा बुरी बातें और बुरे शब्दों का ही व्यवहार किया जाएगा। लोगों की पसंद अनैतिक साहित्य ही हो जाएगी।
पुरुष और स्त्री दोंनो हो जाएंगे अधर्मी
कलयुग में ऐसा समय भी आएगा जब स्त्री और पुरुष दोनों ही अधर्मी हो जाएंगे। स्त्रियां पतिव्रत धर्म का पालन करना बंद कर देगी,और पुरुष भी ऐसा ही करेंगे। स्त्री और पुरुषों से संबंधित सभी वैदिक नियम समाप्त हो जाएंगे।
चोर और अपराधियों की बढ़ोतरी हो जाएगी
इस काल में चोर और सिपाहियों की संख्या इतनी अधिक बढ़ जाएगी,कि आम इंसान ठीक से अपना जीवन नहीं जी पाएगा। लोग एक दूसरे के प्रति हिंसक खो जाएंगे,और सभी के मन में पाप और बुराई प्रवेश कर जाएगा।
भगवान करेंगे कल्कि अवतार लेकर अधर्मी का विनाश
ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार कलयुग के अंतिम समय में भगवान श्री हरि विष्णु कल्कि अवतार में इस पृथ्वी पर जन्म लेंगे। भगवान का यह दिव्य अवतार विष्णुयशा नामक ब्राह्मण के घर में होगा।
भगवान श्री हरि विष्णु कल्कि अवतार लेकर केवल तीन दिनों में ही पृथ्वी से समस्त अधर्मी लोगों का नाश कर देंगे। और बहुत सालों तक संपूर्ण विश्व पर शासन कर,धर्म की स्थापना करेंगे।
युग के अंत में ऐसे आएगा प्रलय
ब्रह्म वैवर्त पुराण के अनुसार कलयुग के अंत समय में पृथ्वी पर बहुत मोटी धारा से लगातार वर्षा होगी। जिससे सम्पूर्ण पृथ्वी पर चारों ओर पानी ही पानी हो जाएगा,और समस्त प्राणियों का अंत हो जाएगा।
इसके बाद 1,70,0000 वर्षो का संधि काल (एक युग के अंत दूसरे युग के प्रारंभ के बीच के समय को संधिकाल कहते हैं) होगा। संधि काल के अंतिम चरण में एक साथ पृथ्वी पर 12 सूर्य उदय होंगे। और उनके तेज से संपूर्ण प्रथ्वी सुख जाएगी। और पुनः सतयुग का प्रारंभ होगा।
दोस्तो ब्रह्म वैवर्त पुराण कहता है,कि ब्रम्हांड में असंख्य विश्व विद्वान हैं। और प्रतीक विश्व के अपने-अपने त्रिदेव अर्थात ब्रहमा विष्णु महेश हैं।
इन सभी विश्व से ऊपर गोलोक में भगवान श्री कृष्ण निवास करते हैं।
ब्रह्म वैवर्त पुराण के चार खंड है
ब्रह्म खंड,प्राकृतिक खंड,गणपति खंड और श्री कृष्ण जन्म खंड।
इन चारों खंडों में 218 अध्याय हैं।
भगवान श्री कृष्ण ने भगवत गीता का ज्ञान देते हुए अर्जुन को भी कहा था कि जब जब पृथ्वी पर धर्म की हानि और अधर्मीयों का अधर्म बढ़ता है,तब तब वह स्वयं पृथ्वी पर अवतार लेकर इस पृथ्वी को पापों से मुक्त करते हैं। और पुनः धरती पर धर्म की स्थापना करते हैं। तो कलयुग में जब अधर्म अपने चरम सीमा पर होगी। तब फिर से भगवान इस पृथ्वी पर कल्कि अवतार लेंगे,और पृथ्वी पर अधर्म का नाश कर के पुनः धर्म की स्थापना करेंगे।
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