रामायण न केवल राम और सीता की एक कहानी ही नहीं है,बल्कि इसके दार्शनिक और आध्यात्मिक महत्व भी हैं,जो बहुत कम लोग जानते हैं:
‘रा’का अर्थ है प्रकाश,
'मा'का अर्थ है मेरे भीतर,मेरी आत्मा।
'मा'का अर्थ है मेरे भीतर,मेरी आत्मा।
इसलिए,राम का अर्थ है मेरी आत्मा के भीतर का प्रकाश।
राम का जन्म दशरथ और कौसल्या के संयोग से हुआ था।
दशरथ का अर्थ है '10 रथ’।
दशरथ का अर्थ है '10 रथ’।
दशरथ 5 ज्ञानेंद्रियों और 5 कर्मेन्द्रियों का प्रतीक है और कौशल्या का अर्थ है कौशल।
10 रथों के कुशल सवार राम को जन्म दे सकते हैं।
राम का जन्म अयोध्या में हुआ था।
अयोध्या का अर्थ है एक ऐसा स्थान जहाँ कोई युद्ध नहीं हो सकता।जब हमारे मन में कोई संघर्ष नहीं है,तो मन प्रकाशित हो जाता है।
हमारी आत्मा राम है,
हमारा मन है सीता ,
हमारी सांस या जीवन-शक्ति(प्राण)हनुमान है,
हमारी जागरूकता लक्ष्मण,हमारा अहंकार है रावण।
हमारा मन है सीता ,
हमारी सांस या जीवन-शक्ति(प्राण)हनुमान है,
हमारी जागरूकता लक्ष्मण,हमारा अहंकार है रावण।
जब मन(सीता),अहंकार (रावण)द्वारा चुराया जाता है,तो आत्मा(राम) को बेचैनी हो जाती है।अब(राम)स्वयं मन अर्थात् (सीता) तक नहीं पहुँच सकता है।
रावण रूपी अहंकार की माया अनेक रूपों में मन और आत्मा को भरमाती और कष्ट देती है किन्तु आत्मा की शक्ति परेशान तो हो सकती है लेकिन पराजित नहीं हो सकती।
इसमें आत्मा को जागरूकता(लक्ष्मण) और प्राण(हनुमान) की मदद लेनी पड़ती है,सद्गुणों की सेना का निर्माण करना होता है,
फिर धर्म और अधर्म के परस्पर बाण चलते हैं,
जिससे अंततः अहंकार(रावण)का नाश हो जाता है और मन(सीता) का पुनर्मिलन आत्मा(राम)से हो जाता है।
मन और आत्मा के परस्पर संतुलित सामंजस्य से शरीर चलता है।वास्तव में रामायण हर समय हर मनुष्य के भीतर होने वाली एक शाश्वत घटना है,अब यह हम पर निर्भर करता है कि हमारे भीतर राम और रावण किसकी विजय होती है!
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