Saturday, June 19, 2021

कल्कि अवतार का वर्णन

कल्कि अवतार का वर्णन 
युधिष्ठिर द्वारा मार्कण्डेय से पूछने पर मार्कण्डेय युगान्तकालिक कलियुग समय के बर्ताव के बारे में युधिष्ठिर को बताते हैं और तब कल्कि अवतार का वर्णन के बारे में बताया गया।

जिसका उल्लेख महाभारत वनपर्व के 'मार्कण्डेयसमस्या पर्व' के अंतर्गत अध्याय 190 में बताया गया है

मार्कण्डेय कहते हैं- युधिष्ठिर युगान्तकाल आने पर सब ओर आग जल उठेगी। उस समय पापीयों को मांगने पर कहीं अन्न, जल या ठहरने के लिये स्थान नहीं मिलेगा। वे सब ओर से कड़वा जवाब पाकर निराश हो सड़कों पर ही सोए रहेंगे। युगान्तकाल उपस्थित होने पर बिजली की कड़क के समान कड़वी बोली बोलने वाले कौवे, हाथी, शकुन, पशु और पक्षी आदि बड़ी कठोर वाणी बोलेंगे। उस समय के मनुष्य अपने मित्रों, सम्बन्धियों, सेवकों तथा कुटुम्बीजनों की भी अकारण त्याग देंगे।

प्रायः लोग स्वदेश छोड़कर दूसरे देशों, दिशाओं, नगरों और गांवों का आश्रय लेंगे और हे तात! हे पुत्र! इत्यादि रूप से अत्यन्त दुःखद वाणी में एक-दूसरे को पुकारते हुए इस पृथ्वी पर विचरेंगे। युगान्तकाल में संसारकी यही दशा होगी। उस समय एक ही साथ समस्त लोकों का भयंकर संहार होगा। तदन्तर कालान्तर में सत्ययुग का आरम्भ होगा और फिर क्रमशः ब्राह्मण आदि वर्ण प्रकट होकर अपने प्रभाव का विस्तार करेंगे। उस समय लोक के अभ्युदय के लिये पुनः अनायास दैव अनुकूल होगा।

कल्कि अवतार का वर्णन

जब सूर्य, चन्द्रमा और बृहस्पति एक साथ पुष्य नक्षत्र एवं तदनुरूप एक राशि कर्क में पदार्पण करेंगे, तब सत्ययुग का प्रारम्भ होगा। उस समय मेघ समय पर वर्षा करेगा। नक्षत्र शुभ एवं तेजस्वी हो जायेंगे। ग्रह प्रदक्षिणाभाव से अनुकूल गति का आश्रय ले अपने पथ पर अग्रेसर मैं होगा विष्णुयशा कल्कि। वह महान बुद्धि एवं पराक्रम से सम्पन्न महात्मा, सदाचारी तथा प्रजावर्ग का हितैषी होगा। मन के द्वारा चिन्तन करते ही उसके पास इच्छानुसार वाहन, अस्त्र-शस्त्र, योद्धा और कवच उपस्थित हो जायंगे। वह धर्म-विजयी चक्रवर्ती राजा होगा। वह उदारबुद्धि, तेजस्वी ब्राह्मण, दुःख से व्याप्त हुए इस जगत को आनन्द प्रदान करेगा। कलियुग का अन्त करने के लिये ही उसका प्रभाव होगा। वही सम्पूर्ण कलियुग का संहार करके नूतन सत्ययुग का प्रवर्तक होगा। वह ब्राह्मणों से घिरा हुआ सर्वत्र विचरेगा और भूमण्डल में सर्वत्र फैले हुए नीच स्वभाव वाले सम्पूर्ण म्लेच्छों का संहार कर ड़ालेगा।

ईश्वर का जन्म उत्तर प्रदेश के सम्भल मैं ब्राह्मण परिवार मै होगा

No comments:

Post a Comment

श्रीकृष्णार्जुन संवाद (गीता) को किस-किस ने सुना?

महाभारत ‘भीष्मपर्व’ के अंतर्गत ‘श्रीमद्भगवतगीता उपपर्व’ है जो भीष्मपर्व के तेरहवें अध्याय से आरम्भ हो कर बयालीसवें अध्याय में समाप्त होता है...