Sunday, January 26, 2020

अर्जुन के अलग-अलग नाम क्या थे?

महाभारत काल में लोग उनके कर्मों या गुणों के फलस्वरूप कई नामों से जाने जाते थे। कई बार तो उन्हें प्रसिद्धि जिस नाम से मिलती थी वो उनका जन्म के पश्चात दिया गया नाम नहीं होता था। जैसे जिन चक्रवर्ती सम्राट भरत के कारण हमारा देश भारत है, उनका मूल नाम सर्वदमन था।

अर्जुन महाकाव्य महाभारत के महानायक हैं, व पूरी कथा उनके द्वारा किए गए कार्यों से भरी पड़ी है। तो निश्चित तौर पर उनके कई नाम थे। उनमें से दस तो अर्जुन ने विराट पर्व में कुमार उत्तर को स्वयं ही बताए थे।

अर्जुन: इसका अर्थ है श्वेत, स्वच्छ, बिना किसी दाग़ के, या रूपहला। यह नाम अर्जुन को उनके चरित्र व कार्यों के कारण मिला। अर्जुन एक वृक्ष का भी नाम है जो कई रोगों की रोकथाम के लिए जाना जाता है, व उसकी छाल का रंग भी अर्जुन के रंग की तरह कुछ अलग होता है।

फाल्गुन/फाल्गुनी: यह नाम अर्जुन को मिला क्योंकि जब उनका जन्म हुआ तब उत्तर फाल्गुन नक्षत्र का उदय हो रहा था।

जिष्णु: शत्रुओं को परास्त करने वाला जिसे कोई (शत्रु) स्पर्श ना कर सके।

बिभत्सु: जिसने कभी किसी युद्ध में कोई ग़लत कार्य ना किया हो।

विजय: यह नाम अर्जुन को मिला क्योंकि चाहे किसी से भी युद्ध करना हो, वो कभी शत्रु को परास्त किए बिना नहीं लौटे।

श्वेतवाहन: उनके रथ में सदैव श्वेत गंधर्व अश्व जुतते थे।

किरीटिन: दानवों से युद्ध के समय इंद्र ने अर्जुन को एक दिव्य रत्नजड़ित मुकुट पहनाया था जो सूर्य के समान चमकता था, उसके कारण।

सव्यसाची: अर्जुन दोनों हाथों से समान रूप से धनुष खींच कर युद्ध कर सकते थे, इस कारण।

धनंजय: कई राज्यों को जीत सदैव धन जीत कर लाने वाले व सदैव ऐश्वर्य में रहने वाले।

कृष्ण: यह नाम अर्जुन को उनके पिता पाण्डु ने प्रेमवश दिया था उनके अत्यधिक श्याम वर्ण के कारण।

इनके अतिरिक्त अर्जुन को और भी कई नामों से सम्बोधित किया गया है। जैसे:

पार्थ: कुंती का मूल नाम पृथा था, और इस कारण उनके पुत्र पार्थ भी कहलाते थे। प्रेमवश कृष्ण अर्जुन को इसी नाम से बुलाते थे।

परंतप: जो एकाग्रचित्त होकर अपना ध्यान केंद्रित कर सके।

गुड़केश: इसके दो अर्थ हैं। एक, निद्रा पर विजय प्राप्त करने वाला, व दूसरा, घुंघराले केशों वाला।

गांडीवधारी: दिव्य धनुष गांडीव को धारण करने वाला।

कपिध्वजी: जिसके रथ के ध्वज पर विश्वकर्मा द्वारा निर्मित दिव्य वानर था।

इनके अतिरिक्त अर्जुन को मध्यपांडव, महाबाहु, भारत, ताप्ती इत्यादि नामों से भी सम्बोधित किया गया है।

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